
ईद क्यों ? मनाई जाती है
आज हम आप को मुस्लिम धर्म के बहुत बरे त्यौहार ईद के बारे में बताने वाले है की ईद क्यों ? मनाई जाती है ईद मुस्लिम धर्म का एक बहुत बारा और महत्वपूर्ण त्यौहार है इस दिन लोग आपस में मिल जुल कर खुशिया बाटते और एक दुसरे से गले मिलते है इस दिन सभी लोग एक साथ होकर एक स्थान पर जिसे मुस्लिम धर्म में ईद गाह कहा जाता है उस ईद गाह में पहुच कर सभी लोग ईद उल फितर की नमाज़ अदा करते है और नमाज़ के बाद सभी आपस में गले मिलते है और एक दुसरे को खुशिया बाटते है इस ईद के बारे में बताया जाता है ,
की जब हज़रत मुहम्मद साहब मक्का से मदीना आये फिर कुछ दिनों के बाद एक जंग हुआ जिसे दुनिया जंगे बद्र के नाम से जानती है इस जंग में हजरत मुहम्मद साहब ने फतह यानि जित हासिल की इस जंग के फतह के ख़ुशी में ईद मनाई जाती है इस ईद को सबसे पहले मुहम्मद साहब ने सन 624 इसवी में मनाया था इस ईद को मीठा ईद के नाम से भी जाना जाता है
ईद कब मनाई जाती है
मुस्लिम धर्म के पवित्र किताब के जरिये ये कहा जात है की ईद रमजान के पाक महीने के बाद मनाया जाता है ये रमजान 30 दिनों का होता है इस पाक महीने में मुस्लिम धर्म के लोग उपवास जिसे मुस्लिम धर्म में लोग रोजा कहते है इस रोजा को मुस्लिम धर्म के लोग सुबह के नमाज़ के बाद से रखना शुरू करते है और रोजे की हालत में खाने पिने और बुरे कामो से बचना जरूरी होता है,
जब शाम होती है तब शाम के वक्त होने वाली आजान के बाद लोग एक साथ बैठ कर खाते और पीते है बताया जाता है की रमजान के पाक महीने के बाद अल्लाह पाक रोजे दरो को इनाम देता है जिसे हम और आप ईद कहते है ये ईद रमजान के पाक महीने के आखिरी दिन चाँद देख कर अगले दिन मनाई जाती है
ईद कैसे मनाई जाती है
रमजान के पाक महीने के आखरी दिन चाँद देख कर अगले दिन को ईद के रूप में मनाते है लोग इस ईद के दिन शुबह उठ कर नहाते है नये -नये कपरे पहन कर खुशबु लगते है है और कुछ मिट्ठा खाते है लेकिन मुस्लिम धर्म में लोग ज्यादातर लोग खुजूर खाते है जो मुस्लिम धर्म में खुजूर खाने को लोग बेहतर मानते है ये उनके पूर्वजो का तरीका है,
और कुछ लोग तो सेबिया भी मीठे की तौर पर खाते है और सभी लोग शुबह के नमाज़ के बाद एक साथ होकर ईद गाह के तरफ चले जाते है और वह पहुचने के बाद सभी लोग एक साथ होकर ईद उल फितर की नमाज़ को अदा करते है नमाज़ के बाद सभी एक दुसरे को बधाई देते है सभी बरे बूढ़े बच्चे एक दुसरे से गले मिलते है सभी बहुत खुश होते है फिर वहा से सभी लोग हंसी ख़ुशी घर के तरफ लौट जाते है घर आने के बाद भी सभी घर के लोगो को बधाई देते है,
ये दिन एक ख़ुशी का दिन होता है इस दिन बरे छोटे सभी आपस में खुशिया बाटते है और सभी बहुत खुश होते है इस दिन लोग आपस में भाई चारे का सम्बन्ध बनाते है लोगो में ख़ुशी की लहर होति है बच्चे बहुत खुश होते है लोग अपने -अपने घरो में सेबैया बनाते है और खूब ख़ुशी के साथ खाते और खिलते है मुस्लिम धर्म में ये त्यौहार काफी अच्छा और बरा माना जाता है इस त्यौहार को लोग हर जगह हर शहर में काफी धूम धाम से मनाते है इस दिन लोग एक दुसरे को अपने -अपने घरो पर बुलाकर सेबैया खाते और खिलते है इस लिए इसे भाई चारे का त्यौहार भी कहा जाता है
ईद के दिन क्या -क्या होता है खास
अब हम आप को इस बरे त्यौहार में होने वाले खास – खास बातो को बताने वाले है इस ईद के दिन कुछ बाते खास होती है जैसे रमजान के आखरी दिन चाँद का देखना फिर कल होकर ईद मनाना ,इस दिन सबसे पहले शुबह उठ कर शुबह की नमाज़ को अदा करना नये -नये कपरे पहनना ,खुशबु लगाना सुरमा लगाना इस सुरमा लगाने को मुस्लिम धर्म में अच्छा माना जाता है ,
ईद गाह जाने से पहले कुछ मीठा खाना ज्यादातर लोग खुजूर खाने को बेहतर मानते है ये पूर्वजो के तरीको में से एक तरीका है ,और ईद गाह जाना फिर ईद गाह पहुच कर ईद उल फितर की नामज़ को अदा करना ,सभी को बधाई देना फिर ईद गाह से लौट कर आपस में मिल जुल कर सेबैया खाना और खिलाना सभी छोटो और बरे को बधाई देना इन सभी बातो को मुस्लिम धर्म में बेहतर और खास माना जाता है
ईद का इतिहास
ईद के बारे में बताया जाता है की ये त्यौहार मुस्लिम धर्म के बहुत बरे पैगम्बर हज़रत मुहम्मद साहब जिनको अल्लाह पाक ने बहुत बरा मकाम दिया है मुस्लिम धर्म के लोग हजरत मुहम्मद साहब को आखरी नबी मानते है और हजरत मुहम्मद साहब पर रमजान के पाक महीने में मुस्लिम धर्म की सबसे पवित्र किताब जिसे हम और आप कुराने पाक के नाम से जानते है ,
ये किताब हजरत मुहम्मद साहब पर नाजिल हुई थी ये बताया जाता है की जब हज़रत मुहम्मद साहब मक्का से मदीने आये तब मदीना शरीफ में एक जंग का आगाज हुआ जिस जंग को हम और आप जंगे बद्र के नाम से जानते है जिसमे हज़रात मुहम्मद साहब को जित हासिल हुई थी ,
तब इस ख़ुशी में ईद मनाई गई थी तब से आज तक लोग ईद को मनाते आ रहे है सबसे पहले हजरत मुहम्मद साहब ने 624 में मनाई थी तब से लोग आज तक इस दिन को बहुत अच्छे और ख़ुशी के साथ मनाते है इस ईद को ईद उल फितर और मिट्ठे ईद के नाम से जानते है ज्यादातर लोग इसे इदुल अज्झा और ईद उल फितर के नाम से जानते है